जीवन एक कविता बन जाने दो

जीवन जीने की कला.. अपनी आंतरिक समाधान की उच्चतम परिसीमा पाने की चाहत उस कलाकार – चित्रकार, लेखक-कवि, संगीत या साहित्यकार को प्रेरणा देती है | और उसे सहायता मिलती है उसकी नजरिये की और चीजों को देखने के अपने अलग रवैये की | चीजों को अपने अलग चश्मे से देखना ही उनका हुनर होता है और बाकी रहती है बस कागज़ और स्याहियों की औपचारिकता, उसे व्यक्त रूप देने के लिए | तब वोह अहसास, जज्बात बनते है उस चित्रकार का चित्र, संगीतकार के सुर और कवी की कविता |

नजरिया बदलो, जिंदगी अपनेआप बदल जाएगी |

अपने अंदर का बच्चा जिंदा रखो.. वोह आपको जिंदगी को देखने का नजरिया बताएगा |

यही हमारा ब्रीदवाक्य है!

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जीवन एक कविता बन जाने दो

 

जीवन एक कविता बन जाने दो

कोरे पन्नों में रंग भर दो

स्याहियों में अपनी जान मिला कर

भुला दो सब तरीके, सीधी रेखाओं सीमाओं के

समझो इसको कवी बन तुम

इस जीवन को कविता बन जाने दो

ख्वाहिशों को ख्वाबों में बदल दो

सोच को खयालों में बदल दो

भटको वनों में खो जाओ

संभलो मत ठोकर खा जाओ

हँसों खुल के, बेवजह मुस्कुराओ

फिज़ा पर ही कुछ नज्मे अदा कर दो

पेड़-फुल-पत्ते-दीवारों को अपना बना लो

इन सबको एक ही माला में सजा लो

प्यार पर खफा हो कुछ ताने मार दो

नफरत को चार तमाचे मार दो

अजीब को अपना कर खुद को अजीज बना दो

दिल की दस्तखत कागज़ पर उतारो

खून की स्याही को शब्दों में उतारो

उन शब्दों को तजुर्बे से सवारों

जीवन ऐसे जियो

समझो इसको कवी बन तुम

जीवन एक कविता बन जाने दो

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(Picture Courtesy: Movie – The Tree of Life, Facebook – Imtiaz Ali)

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